जलवायु परिवर्तन: कोयले की क़ीमत सौर ऊर्जा से भी ज़्यादा -GenusInnovation
Email:info@genusinnovation.com+91 9667123456

जलवायु परिवर्तन: कोयले की क़ीमत सौर ऊर्जा से भी ज़्यादा

climate-change.jpg

जलवायु परिवर्तन एक प्राकृतिक चक्र है जो पर्यावरण के साथ साथ ऊर्जा और ईंधन स्त्रोतों से जुडी आर्थिक गतिविधियों को भी प्रभावित करता है। जलवायु में होने वाले बदलाव को लेकर लम्बे समय से वैश्विक स्तर पर जागरूकता और ग्लोबल वार्मिंग से सम्बंधित कार्यक्रम और योजनाएं चलाई जा रही है। फिर भी स्थिति को नियंत्रित करना काफी मुश्किल साबित हो रहा है। वैज्ञानिकों  के मुताबिक़ वर्तमान में पृथ्वी का औसतन  तापमान 15 डिग्री सेल्सियस है।  समय के साथ साथ पिछले कुछ वर्षों में जलवायु में तेज़ी से बदलाव देखने को मिल रहा है जिसके कारण गर्मियाँ लंबी और सर्दियाँ छोटी होती जा रही हैं।

‘ग्रीनहाउस इफेक्ट’ को जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण  कहा गया  है।

ग्रीनहाउस गैसें न केवल  जलवायु पर बुरा प्रभाव डालती हैं बल्कि पृथ्वी पर मौजूद जीव-जंतुओं एवं मुनष्यों के लिए भी हानिकारक साबित हो रही है। जलवायु परिवर्तन की वजह से पृथ्वी पर पोषित होने वाले  पेड़-पौधे और जीव-जंतुओं के विलुप्त होने का ख़तरा भी बढ़ रहा है क्योंकि इन पेड़ पौधों और जीव जंतुओं को सकारत्मक वातावरण नहीं मिल पा रहा है। वहीँ दूसरी तरफ ऊर्जा स्रोतों पर भी जलवायु परिवर्तन का असर देखने को मिलता है। पारंपरिक ऊर्जा स्रोत जैसे कोयला, जीवाश्म, पेट्रोल, डीज़ल आदि की मात्रा पृथ्वी पर कम होती जा रही है और इनकी क़ीमतें भी  लगातार बढ़ रही हैं। 

 कोयले से बिजली उत्पन्न करने के कारण प्रदूषक तत्त्वों का उत्सर्जन तो होता ही है साथ ही वैश्विक स्तर पर भी पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। वर्तमान में बड़े पैमाने पर बिजली उत्पन्न करने के लिए कोयले के इस्तेमाल को बंद करने पर ज़ोर दिया जा रहा है ताकि प्रदूषण को कम करने के साथ ही जलवायु परिवर्तन को भी अनुकूल बनाया जा सके।

पर्यावरण पर कोयले का दुष्प्रभाव –

भारत में कोयले से बिजली उत्पादन का कार्य लम्बे समय से चल रहा है, लेकिन अब ग्लोबल वार्मिंग के कारण एक तरफ जहाँ विशेषज्ञ कोयले के इस्तेमाल को बंद करने पर ज़ोर दे रहे हैं वहीँ अन्य  देश भी कोयले से बिजली बनाने की व्यवस्था को रोकने का दबाव बना सकते हैं। इसकी मुख्य वजह कोयले का वातावरण पर बुरा असर पड़ना और कोयला खनन और परिवहन पर अधिक खर्च होना माना जा रहा है। दूसरी तरफ   कोयले से बिजली उत्पन्न करने के लिए अत्यधिक मात्रा में पानी का इस्तेमाल होता है एवं पृथ्वी पर जल संकट भी एक गंभीर समस्या है।

सभी परिस्तिथियों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में सौर ऊर्जा एवं वायु ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करना कोयले की तुलना में काफी किफायती  साबित होता है। यह दोनों ही नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के उदाहरण हैं जो सस्ते और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प हैं। भारत की भौगोलिक स्थिति के कारण सौर ऊर्जा एवं वायु ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करना बहुत आसान है। अन्य देशों में भी प्राकृतिक अक्षय ऊर्जा से बिजली उत्पन्न की जा रही है तथा पृथ्वी पर मौजूद सभी संसाधनों का इस्तेमाल कर सूरज की किरणों को विद्युत में परिवर्तित किया जा रहा है। भारत के विभिन्न शहरों में सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के चलते विदेशी कंपनियों ने भारत में निवेश करना शुरू कर दिया है।

जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या को देखते हुए हमें पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के स्थान पर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम बढ़या जा सके। पर्यावरण संतुलन को बनाये रखने और ऊर्जा स्त्रोतों के संरक्षण के लिए हमें अधिक से अधिक घरेलू सौर प्लांट लगाने चाहिए ताकि  कोई भी निवेशक या उपयोगकर्ता अपनी ज़रूरत की बिजली पा सके। इस बात को प्रोत्साहन देने के लिए  केंद्र एवं राज्य सरकारों ने विभिन्न परियोजनाओं की शुरुआत की है जिसके अंतर्गत  सौर ऊर्जा संयंत्र की क़ीमत का भुगतान करने के लिए सरकार की तरफ़ से सब्सिडी भी मुहैया कराई जाएगी। इन सभी परियोजनाओं के कारण भारत में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के महत्त्व को समझा जा रहा है। सरकार की नीतियों एवं परियोजनाओं से भविष्य में सौर एवं वायु ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करने में  कम ख़र्च आएगा तथा ग्रीनहाउस जैसी हानिकारक गैसों से पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकेगा।

Related Blog
सौर ऊर्जा के बारे में रोचक तथ्य

सौर ऊर्जा के बारे में जानें ज़रूरी बातें

Innovative Power Solutions for Everyone