गर्मियों ने दस्तक दे दी है और पारा तेज़ी से ऊपर बढ़ रहा है। ऐसे में तपती दोपहर या उमस वाली रात के बीच लाइट चली जाए तो यह किसी सज़ा से कम नहीं है। गाँव, कस्बे और शहरों में गर्मी आते ही पावरकट की रफ़्तार में भी तेज़ी आ जाती है। चूंकि गर्मियों का यह मौसम अगले 3-4 महीनों तक आपको यूँ ही तंग करेगा तो इसमें सुकून पाने का एकमात्र उपाय है घर के लिए बेहतरीन इंवर्टर। आप जानते हैं कि इंवर्टर आपके लिए आधुनिक सुविधाओं का पिटारा है लेकिन इंवर्टर ख़रीदने के लिए सबसे ज़रूरी है यह जानना कि आपके लिए उचित इंवर्टर कौन सा होगा। बाज़ार में आपको विभिन्न प्रकार के इंवर्टर मिलेंगे जिनकी अपनी अपनी ख़ासियत और क़ीमत है लेकिन उनमें से आपको वही इंवर्टर चुनना है जो आपके लिए सही हो। इससे पहले कि आप अपने लिए नया इंवर्टर ख़रीदने का विचार करें, जीनस इंडिया की टीम आपको बताएगी कुछ सुझाव जो आपको सबसे उचित इंवर्टर ख़रीदने में मददगार साबित होंगे।
1. जानें अपनी ज़रूरत
इंवर्टर खरीदना आपकी तात्कालिक ज़रूरत हो सकती है लेकिन उससे पहले आपको यह जानना होगा कि आपके घर में बिजली की खपत कितनी होती है। उसी हिसाब से आप ज़्यादा या कम पावर बैकअप वाला इंवर्टर ले सकते हैं। याद रखें कि इंवर्टर जनरेटर से अलग होता है तो ज़ाहिर है कि इंवर्टर से घर के हर उपकरण नहीं चलाये जा सकते हैं। हालांकि बाज़ार में ऐसे इंवर्टर भी उपलब्ध हैं जिनसे भारी उपकरण भी चलाये जा सकते हैं लेकिन उसके लिए आपको हैवी ड्यूटी इन्वर्टर तथा ज्यादा बैटरियों का इस्तेमाल करना होगा।तो अपनी विद्युत संबंधी जरूरतों का औसत निकालते समय सिर्फ उन्हीं उपकरणों का हिसाब करें जिनकी ज़रूरत आपको बहुत ज़्यादा पड़ती है जैसे लाइट, पंखे और लैपटॉप आदि। नीचे दी गयी टेबल में जानें कि कौन सा उपकरण कितनी बिजली खपत करता है:
उपकरण | बिजली खपत |
सीलिंग फ़ैन | 50-75 वॉट |
टेबल फ़ैन | 25-50 वॉट |
सीएफ़एल 18 वॉट | 18 वॉट |
डेस्कटॉप कम्प्युटर | 80-150 वॉट |
लैपटॉप | 20-75 वॉट |
एलसीडी टीवी (32 इंच) | 150 वॉट |
ट्यूब लाइट (4 फीट) | 40 वॉट |
*ऊपर दी गयी जानकारी एक औसत गणना के अनुसार है। आपके उपकरणों की असल रेटिंगऊपर दी गयी रेटिंग से भिन्न हो सकती है।*
2. इंवर्टर के प्रकार समझें
इंवर्टर ख़रीदने से पहले आपको उनके प्रकार के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए ताकि आप सही ढंग से निर्णय ले पाएंगे कि आपके घर के लिए कौन सा उचित होगा। इंवर्टर 2 प्रकार के आते हैं: मॉडिफाइड साइन वेव और दूसरा प्योर साइन वेव इनवर्टर।
मॉडिफाइड साइन वेव इंवर्टर की क़ीमत कम होती है लेकिन आपको दक्षता से भी समझौता करना पड़ेगा क्यूंकी इन इंवर्टर पर ज़्यादा लोड नहीं डाला जा सकता है और ये कुछ नाज़ुक डिवाइस को खराब भी कर सकते हैं। वहीं प्योर साइन वेव इंवर्टर की क़ीमत थोड़ी ज़्यादा होती है लेकिन इनकी कार्यकुशलता और दक्षता भी बेहतरीन होती है। यही नहीं यह ज़्यादा लोड वाले उपकरणों को भी आसानी से पावर बैकअप दे सकते हैं जो आपके लिए हर तरह से फ़ायदेमंद साबित हो सकता है।
3. सावधानी से करें बैटरी का चयन
सिर्फ इंवर्टर चुनने में समझदारी दिखाना काफी नहीं है। आपको बैटरी चुनते वक़्त भी ज़रूरी बातों का ध्यान देना होगा। क्यूंकी किसी भी इंवर्टर का सबसे ज़रूरी हिस्सा उसकी बैटरी ही होती है। कभी कभार आपको बैटरी अलग से खरीदनी पड़ सकती है लेकिन ब्रांडेड इंवर्टर ख़रीदने पर आपको इंवर्टर के साथ ही बैटरी मिलती है। लेकिन दोनों ही मामलों में आपको बैटरी ख़रीदते समय समझदारी से काम लेना होगा। बाज़ार में आपको 3 प्रकार की बैटरी मिलेंगी: फ्लैट प्लेट बैटरी, ट्यूबुलर बैटरी और ड्राई बैटरी ।
फ्लैट प्लेट बैटरी की कीमत कम लेकिन इनमें रखरखाव की ज़रूरत बहुत ज़्यादा होती है। साथ ही इनकी उम्र भी कम होती है। ड्राई बैटरी की कीमत ज़्यादा होती है लेकिन आपको इसकी रख रखाव के लिए ज़्यादा चिंता नहीं करनी पड़ेगी क्यूंकी नाम के अनुसार ये बैटरी सूखी होती हैं। ऐसे में घर के लिए ट्यूबुलर बैटरी का विकल्प फायदेमंद हो सकता है क्यूंकी ये किफ़ायती दाम की होती हैं, उम्र ज़्यादा और रखरखाव कम होता है।
4. इंवर्टर और होम यूपीएस में जानें अंतर
अगर बात आती है पावर बैकपअप की तो ये दोनों ही उपकरण लगभग एक जैसा ही काम करते हैं लेकिन सबसे बड़ा अंतर है समय का। इन्वर्टर की तुलना में होम यूपीएस बहुत ही कम समय में स्विचओवर कर लेता है यानि बिजली जाने पर भी आपके होम यूपीएससे जुड़े उपकरण बंद नहीं होते खासकर कंप्यूटरजिसमेआपके काम का नुकसान होने का खतरा रहता है।होम यूपीएस भी डीसी करंट को एसी करंट में बदलकर पावर बैकअप देता है। यूपीएस का मतलब है अनइंटरेप्टेड पावर सप्लाई यानि कि पावर कट होने पर यूपीएस से जुड़े उपकरणों के बंद होने का खतरा नहीं होता है लेकिन इंवर्टर से जुड़े उपकरण कुछ देर में पावर बैकअप प्राप्त कर पाते हैं। ज़्यादातर ऑफिस, स्कूल, कॉलेज आदि में कम्प्युटर को यूपीएस से जोड़ा जाता है ताकि अचानक बिजली जाने पर लोगों को उनका ज़रूरी डाटा और काम सेव करने का समय मिल सके।
दूसरा अंतर है इनपुट वोल्टेज रेंज।यूपीएस खासकर सेंसिटिव उपकरणों के लिए काफी फायदेमंद है जो एक लिमिटेड वोल्टेज रेंज में काम करते है।होम यूपीएस 180 V से 240 V में ही काम करता है, मतलब अगरआपके घर आने वाली बिजली का वोल्टेज 180 V से कम हो जाता है तो यह अपने आप ही इन्वर्टर मोड में आकर आपके उपकरण को ख़राब होने से बचाता है।
5. देसी कंपनी के इंवर्टर को दें प्राथमिकता
यूं तो बाज़ार में विभिन्न कंपनियों के इंवर्टर उपलब्ध हैं लेकिन भारत में बनने वाले इंवर्टर लेना आपके लिए फ़ायदेमंद होगा क्यूंकी घरेलू इंवर्टर के सर्विस सेंटर आसानी से उपलब्ध होंगे ताकि ज़रूरत पड़ने पर इंवर्टर की खराबी को जल्द से जल्द सही करवा सकें।यही नहीं भारतीय कंपनियों के उत्पाद खरीदकर आप अपना फ़ायदा करने के साथ प्रधानमंत्री की ”लोकल में वोकल” की अपील में भी ज़रूरी योगदान दे सकेंगे।
अंत में
हालांकि आखिरी फैसला आपका ही होगा कि आप चिलचिलाती गर्मियों से निजात पाने के लिए किस प्रकार काइंवर्टर लेना चाहिए लेकिन हमारा सुझाव है कि इंवर्टर खरीदते वक़्त इन्वर्टर कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग ज़रूर देखें। एक भारतीय कंपनी जो यहाँ की बिजली और उससे जुड़ी सभी समस्याओं को भली भांति जानती होगी वही आपके लिए ज़्यादा फ़ायदेमंद साबित होगी। जैसे कि जीनस इनोवेशन लिमिटेड जो पिछले 2 दशकों से भी ज़्यादा समय से बेहतरीन इंवर्टर और संबन्धित उत्पाद बनाकर लोगों की जिंदगी रोशन कर है। यही नहीं जीनस कंपनी विदेशों में भी अपने इंवर्टर निर्यात कर रही है। इंवर्टर का इस्तेमाल सबसे ज़्यादा होता है तो आपको इंवर्टर ऐसे ही ब्रांड से लेना चाहिए जो विश्वसनीय हो और ग्राहक सेवा सुविधा प्रदान करता हो ताकि इंवर्टर में आने वाली खराबी को तुरंत सही कराया जा सके। वारंटी पीरियड में मुफ्त में इंवर्टर सही कराने की सुविधा मिलेगी वहीं गारंटी पीरियड में आप नया उत्पाद ले सकते हैं।