जहाँ एक तरफ कोविड 19 महामारी के दौरान दुनिया भर में लोगों को घरों में बैठने की हिदायत दी जा रही है वहीं दूसरी ओर पर्यावरण में हुए सुधार के कारण नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की दक्षता भी बढ़ी है। दरअसल कोविड महामारी को फैलने से रोकने के लिए दुनिया के हर देश ने लॉकडाउन लागू किया था। लॉकडाउन के दिशा निर्देशों के अनुसार तय समय सीमा तक यात्राएँ, आयोजन, समारोह, सम्मेलन, शादियां, स्कूल, कॉलेज, अधिकतर ऑफिसों आदि को स्थगित कर दिया गया था। कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने की इस मुहिम में शायद ही किसी ने सोचा होगा कि हमारे पर्यावरण पर भी इसका सकारात्मक असर होगा। सौर ऊर्जा क्षेत्र भी इसी का एक बेहतरीन उदाहरण है। भारत में और दुनियाभर में लॉकडाउन के दौरान वाहनों के न्यूनतम उपयोग के कारण कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैस के उत्सर्जन में भी भारी कमी दर्ज की गई। जिसके परिणामस्वरूप, कई जगहों पर दशकों बाद साफ़ और नीला आसमान देखने को मिला।
नई एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने भी प्रदूषण नियंत्रण को सौर ऊर्जा क्षेत्र के लिए बेहतरीन अवसर बताया। साफ़ मौसम और घटते प्रदूषण के कारण लॉकडाउन में देश भर में लगे सोलर प्लांट की दक्षता में शानदार बढ़त हुई है तथा विद्युत उत्पादन भी बढ़ा है।
यहाँ जानते हैं कि कोविड 19 महामारी के दौरान सौर ऊर्जा कितनी फ़ायदेमंद है:
1. सौर ऊर्जा को स्वच्छ ऊर्जा भी कहा जाता है और अन्य पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में सौर ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करने में पर्यावरण को न्यूनतम नुक्सान होता है। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण साँस संबंधी कठिनाइयां बढ़ती हैं और ऐसे में व्यक्तिगत, राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर पर्यावरण को स्वच्छ करना बेहद महत्त्वपूर्ण हो गया है।
2. कोविड महामारी के दौरान जब ज़्यादातर कंपनियों ने अपने कर्मचारियों से घर से ही काम करने की अपील की है तो ऐसे में ज़ाहिर है कि इस समय बिजली की खपत में बढ़त दर्ज की गई है। लॉकडाउन के दौरान भारत के विभिन्न शहरों में सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली की मात्रा में भारी बढ़त हुई है। यही नहीं सोलर पैनल इस्तेमाल करने वाले घरों में बिजली के बिल भी अन्य स्रोतों की तुलना में बहुत कम आये हैं।
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3. जुलाई 2020 में संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुतारेस ने सौर ऊर्जा की दिशा में भारत की योजनाओं की सराहना करते हुए कहा कि भारत ने कोविड 19 महामारी के बीच नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में अच्छा उदाहरण पेश किया है।
4. सौर ऊर्जा एक ऐसा ऊर्जा स्रोत है जिसकी मांग और खपत 2020 के बाद बढ़ने की संभावना है और इस क्षेत्र में पारम्परिक ऊर्जा उद्योग की तुलना में अधिक रोज़गार के अवसर हैं। रोज़गार की दृष्टि से भी नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र का भविष्य उज्ज्वल है।
5. सौर ऊर्जा में भारत का भविष्य बेहद उज्ज्वल है। कोविड महामारी के दौरान विभिन्न सौर ऊर्जा से बिजली बनाने वाली कंपनियों ने बिजली दरों में भारी गिरावट की है ताकि यह स्वच्छ और अक्षय ऊर्जा स्रोत ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँच सके और ज़्यादा से ज़्यादा लोग सोलर पावर का इस्तेमाल कर सकें।
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भौगोलिक स्थिति के हिसाब से भारत एक ऐसा देश है जहां साल भर में अधिकतर इलाक़ों में लगभग 300 दिनों तक धूप रहती है। भारत में पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पन्न करना और इस्तेमाल करना दिनों दिन बेहद महंगा होता जा रहा है। वहीं सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली दरें कम हो रही हैं। जुलाई में प्रधानमंत्री के शब्दों में सौर ऊर्जा श्योर, प्योर और सिक्योर ऊर्जा स्रोत है। श्योर क्योंकि सूरज और धूप प्रचुर मात्रा में हमेशा के लिए उपलब्ध है, प्योर क्योंकि यह स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है जिससे बिजली उत्पादन में पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता है, और सिक्योर क्योंकि एक बार सोलर प्लांट लगवाने के बाद न्यूनतम 25 वर्षों तक बिजली उत्पन्न करना आसान और सस्ता विकल्प है। साथ ही यह सालों साल तक हमारी विद्युत संबंधी ज़रूरतों को सुरक्षित रखता है।
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कोरोना संक्रमण का ख़तरा पूरी दुनिया में दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है और ऐसे में स्वास्थ्य सुरक्षा बेहद अहम मुद्दा बनकर सामने आया है। विभिन्न देशों ने विद्युत उत्पादन के लिए अक्षय एवं स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल करने का फैसला लिया है। ग़ौरतलब है कि भारत ने सौर ऊर्जा की दिशा में अपनी परियोजनाओं से वैश्विक स्तर पर बेहतरीन प्रसिद्धि हासिल की है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना संकट से निजात पाने के बाद भी भारतीय जनता सौर ऊर्जा तथा अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के प्रति जागरूक होगी।